अब तो जरा जी लो

#kchbaatenmanki

अब जरा-जरा जी लो,
थोड़ा बेखबर हो लो,
अनजाने, अनगिनत,
बोझों को ढोते हम,
दिल पर रात दिन,
न जाने कितने बोझ
लिए फिरते हैं।

अपने गमों का बोझ,
दूसरों की खुशियों का बोझ,
अपनी नाकामी का बोझ,
दूसरों की कामयाबी का बोझ,

कमियाँ बहुत तलाश ली,
अब जरा जरा जी भी लो,
थोड़ा बेखबर हो लो।

कभी दोस्ती का बोझ,
कहीँ दुश्मनी का बोझ,
किसी के आने का बोझ,
किसी के चले जाने का बोझ,
कोई आए कोई जाए,
सीख लो तन्हा जीना,
जिंदगी में हर बात का,
क्यो दिल पर बोझ रखना।

अब तो जरा सा जी लो,
थोड़ा बेखबर हो लो।

किसी के कहने का बोझ,
किसी के सुन लेने का बोझ,
चुप रहने का बोझ,
कह देने का बोझ,
कोई और नहीं देता हमे,
हमने खुद ही से बनाते हैं,
अपने बनाए बोझों में,
खुद ही डूब जाते हैं ।

थक तो  गए होंगे न ढ़ोते ढोते,
तो उतार दो बहुत हुआ,

अब तो जरा सा जी लो,
थोड़ा बेखबर हो लो ....
जिंदगी उतना ही देगी,
जितने की दरकार है,
सोच सोच कर घुटते रहना,
ये सब तो बेकार है,
मन की आंखो से देखो तो,
सुन्दर ये संसार है,
जीवन  ये हम सबका,
उस ईशवर का उपहार है।
नेमत मान इसे घूंट-घूंट पी लो,
अब तो जरा जी लो,
थोड़ा बेखबर हो लो ....



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