डर सा लगता है


 

जिंंदगी का ख्याल अब,

बेमक़सद सफर सा लगता है

गलियों के सन्नाटों में,

अजीब डर सा लगता है,


जाने किसकी लग गई है नजर,

दुनिया पर कहर सा लगता है,


 हंसता खेलता सा मेरा शहर,

 बेजान - बंजर सा लगता है,

  

सड़क पर दौड़ती एम्बूलैंस का सायरन,

कानों को जहर सा लगता है,


तपती झुलसती गर्मी में भी गर्म पानी

पीने में जबर सा लगता है,


ये किस दौर से गुजर रही दुनिया,

हर तरफ खौफ का मंजर सा लगता है,


दिल पर अनदेखी बैचेनियों का बोझ,

शामों - सहर सा लगता है,


दुनिया के ग़म से खुद खुदा भी,

कितना बेखबर सा लगता है।




 


Comments

  1. बरसेगा बादल जरूर,
    एक दिन बौछार बनकर|
    आयेंगे खुशीयों के दिन,
    हरपल त्योहार बनकर|

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    1. रचनाकार:-किशोर धनावत

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  2. जल्दी से वो दिन अब आए, इस दौर से अब मन घबराये 🙏🙏

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  3. डर को कहर ना बनाओं,
    एक दूजे की खुशियां बांट
    बस मुस्कान ला चेहरे को खिलाओ।
    ये वक्त भी गुजर जाएगा,
    अभी गम के काले बादल है
    तो खुशियों की बरसात भी होगी।

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    1. मन को रखती हूं बहुत मजबूत बहना,
      मगर दुनिया की हालत कभी कभी छूटने लगती है उम्मीद बहना, तुम्हारी बातों से पर फिर से जगी है रोशनी की नई उम्मीद बहना ❤️

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