मै बहुत छोटी थी।करीब पांच साल की,माँ की तबीयत अचानक बिगड़ जाती थी,तेज बुखार में वो उठ भी नहीं पातीथी।हम चार भाई-बहन पापा के दुकान से आने का इंतज़ार करते, जब वो आते तब कुछ बनाते और हमे खिलाते।हलांकि घर में काम वाली बाई थी,पर पापा खाना नहीं बनवाते थे कभी उनसे।आज भी याद है पापा के हाथों के उन देसी घी में सिके खस्ता परांठे और आलू की सूखी सबजी का स्वाद,वैसा स्वाद तो माँ के हाथ में भी नहीं था।
पापा को कभी-कभी आने में देर हो जाती तो हम सब ऐसे ही बैठे रहते। इन्ही वजहों ने मुझे समय से पहले बड़ा कर दिया।
उस नन्ही सी उम्र में माँ की तबियत खराब होने पर पापा के आने से पहले बाई की सहायता से खाना बनाने की कोशिश करने लगी।बाई आटा लगा देती और मै जैसे भी टेढे-मेढे,कचचे-पक्के परांठे सेक लेती,पर बाई को नहीं बनाने देती
मेरे पापा कभी ये नहीं कहते कि ये ठीक नहीं बने,बस खा लेते
एक किस्सा जो मुझे अब भी याद है।माँ की तबीयत खराब थी।और एक आंटी जी मिलने आई थी उनसे,मै छःसाल की थी।आंटी जी माँ से मिल कर जाने लगी,मै रसोई में पहली बार कढी बनाने की कोशिश में लगी हुई थी।उन्होंने मुझे देखा तो पूछा कया कर रही हो,लाओ मैं कर देती हूँ।मैंने कहा नहीं मुझे आता है मैं कर लूंगी।फिर उन्होंने पूछा कया बना रही हो ?मैने कहा कढी!!...वो मुझे देखने लगी ये सोच कर शायद ये बच्ची कैसे बनाती हैं कढी।
मैंने दही बेसन मिला कर छाना,नमक-हलदी डाली और कढी छौंक दी।आंटी जी सब देख रही थी,उनहोंने कहा बेटा लाल मिर्च तो डाली ही नहीं ?और मैंने बड़े विश्वास के साथ उनसे कहा मम्मी नहीं डालती लाल मिर्च कढी में,मुझे लगा था कढी पीली होती हैं उसमेँ लाल मिर्च डालने से उसका रंग खराब हो जाएगा ।😄😄
आंटी जी ने कहा अच्छा और चली गई। काम खत्म करके मैं मम्मी के पास गई और उन्हे पूछा मम्मी आप कढी में लाल मिर्च नहीं डालते हो न। मम्मी बोली अरे डालती तो हूँ।फिर मैंने उनसे आंटी जी को जो कहा वो बताया। मम्मी बहुत हंसी और मुझे समझाया कि कढी में लालमिर्च डालने से उसका रंग खराब नहीं होता।
मै सोच में पड़ी रही "कैसे "? ?
पापा को कभी-कभी आने में देर हो जाती तो हम सब ऐसे ही बैठे रहते। इन्ही वजहों ने मुझे समय से पहले बड़ा कर दिया।
उस नन्ही सी उम्र में माँ की तबियत खराब होने पर पापा के आने से पहले बाई की सहायता से खाना बनाने की कोशिश करने लगी।बाई आटा लगा देती और मै जैसे भी टेढे-मेढे,कचचे-पक्के परांठे सेक लेती,पर बाई को नहीं बनाने देती
मेरे पापा कभी ये नहीं कहते कि ये ठीक नहीं बने,बस खा लेते
एक किस्सा जो मुझे अब भी याद है।माँ की तबीयत खराब थी।और एक आंटी जी मिलने आई थी उनसे,मै छःसाल की थी।आंटी जी माँ से मिल कर जाने लगी,मै रसोई में पहली बार कढी बनाने की कोशिश में लगी हुई थी।उन्होंने मुझे देखा तो पूछा कया कर रही हो,लाओ मैं कर देती हूँ।मैंने कहा नहीं मुझे आता है मैं कर लूंगी।फिर उन्होंने पूछा कया बना रही हो ?मैने कहा कढी!!...वो मुझे देखने लगी ये सोच कर शायद ये बच्ची कैसे बनाती हैं कढी।
मैंने दही बेसन मिला कर छाना,नमक-हलदी डाली और कढी छौंक दी।आंटी जी सब देख रही थी,उनहोंने कहा बेटा लाल मिर्च तो डाली ही नहीं ?और मैंने बड़े विश्वास के साथ उनसे कहा मम्मी नहीं डालती लाल मिर्च कढी में,मुझे लगा था कढी पीली होती हैं उसमेँ लाल मिर्च डालने से उसका रंग खराब हो जाएगा ।😄😄
आंटी जी ने कहा अच्छा और चली गई। काम खत्म करके मैं मम्मी के पास गई और उन्हे पूछा मम्मी आप कढी में लाल मिर्च नहीं डालते हो न। मम्मी बोली अरे डालती तो हूँ।फिर मैंने उनसे आंटी जी को जो कहा वो बताया। मम्मी बहुत हंसी और मुझे समझाया कि कढी में लालमिर्च डालने से उसका रंग खराब नहीं होता।
मै सोच में पड़ी रही "कैसे "? ?
आप कैसे बना लेती थीं इतनी छुटकी उम्र में! वाकई जिम्मेदारियां सब कुछ करा देती हैं 💙
ReplyDeleteSach hai Spharda mujhe khud ni pta kaise main itni choti si umar main kitchen main kaam krne lgi, Maa ke tabiyat khraab ho jane ki wajah se bs seekhte chali gyi 😊😊
DeleteHearttuching your Story,😘😘😘
ReplyDeleteThank you @Sajida ji 🙏❤
DeleteHeart touching!! Huge respect to you for being responsible for your family at such a young age
ReplyDeleteThank @varsha Mohan . Wqt sab sikha deta hai umar chahe choti ho ya badi 🤗🤗
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