अपने दिल की की वो बातें जो आप कह नहीं पाते । एक आम इंसान के लिए वो दर्द बन जाती हैं । और हम जैसे कुछ लोग जब अपने दिल की बात कहते हैं तो वो "कविता बन जाती है क्यो है न आसान दर्द में जीना ? बस लिख लिया और सह लिया, ना कोई उम्मीद किसी से ना कोई शिकवा ....
कितना मुश्किल है,जब मेरा तुम्हे भुला पाना,
तुम भला मुझे,कैसे भुला पाओगे।
तुमने बस,एक रिश्ता दिया
उसे नाम मैंने दिया
तुमने दोस्ती का बस हाथ बढ़ाया,
उसे दोस्ती की पहचान मैंने दी ।
तुमने बस एक कहानी शुरु की,
उस कहानी में जान,मैंने दी।
तुमने बस एक उम्मीद दी,
उसे अरमान मैंने दिया ।
तुमने बस अपना हाथ दिया,
मैंने मुकम्मल साथ दिया ।
तुमने अपने कुछ पल दिये,
मैंने अपना हर पल तुम्हे दे दिया
तुमने बस एक बार दोस्त कहा,
मैंने तुम्हारे सिवा किसी को दोस्त नहीं माना।
फिर तुम्हें क्यों लगता है कि,
मै तुम्हे कभी भुला सकूँगी।
तुम कहो न कहो दिल को,
इतना तो यकीन है
तुम्हारे दिल में मेरी यादें,
कहीं तो बसी है......
शिकवा नहीं तुमसे कोई,
मेरे लिए ये यकीन बहुत है।
बस ये यकीन बहुत है!!!!
शिकवा नहीं तुमसे कोई,
मेरे लिए ये यकीन बहुत है।
बस ये यकीन बहुत है!!!!
Comments
Post a Comment