आज बात करते हैं थोड़ी हमारे मारवाड़ी संस्कृति और मारवाड़ी खाने के बारे में ।
मारवाड़ी खाने के बहुत शौकीन होते हैं।और खाने में वेराईटी पसंद करते हैं।मै भी एक मारवाड़ी परिवार में पैदा हुई और शादी भी मारवाड़ी परिवार में ही हुई । तो आप समझ सकते हैं खाना बनाने की और मेरा रुझान ।
अब आज के समय में शायद जरूरी नहीं है ।पर हमारे वक़्त में लड़की को एक अच्छी बहु होने के लिए अच्छा खाना बनाना आना बहुत जरूरी था ।
मेरे पिता भी खाने-खिलाने के शौकीन थे । आए दिन हमारे घर में छोटी छोटी पार्टीस होती रहती थी । माँ के हाथ के बढिया खाने की वजह से ।
मैंने अपने बचपन से उन्हे अलग अलग तरह के खाने बनाते हुए देखा और वही शौक मेरे अंदर भी आ गया ।
आजकल धीरे धीरे हमारे पारंपरिक भोजन पर विदेशी भोजन हावी हो रहा है। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए, पाश्चात्य खाने की तरफ बढ़ते हमारे बच्चों को हम अपने पारंपरिक भोजन से भी परिचित रखें।
नहीं तो धीरे धीरे ये भोजन हमारे घरों की रसोई से विलुप्त हो जायेंगे।
हम बात कर रहे थे मारवाड़ी खाने की, मारवाड़ी खाने में भी अलग-अलग जगहों के मारवाड़ियों के खाने के अलग-अलग स्वाद है ।
जैसे कि मेरी माँ राजस्थान से है।तो उनकी रेसिपीस मेरी दादी माँ की रेसिपीस से कुछ अलग है ।और मेरी सासु माँ चूंकि बिहार से है तो उनके स्वाद और खाने में बिहारी टच है ।
इसलिए मेरे खाने में ढेर सी वेराईटी है, भई तीन राज्यों के अलग-अलग स्वाद और खाने हो गए न !!!!
हमारे खाने में एक बार में काफी चीज़ों का समिमक्षण होता है
हर तीज त्यौहार के अलग पकवान होते है ।और उन पकवानों को उन खास दिनों पर बनाना त्यौहार का जरूरी हिस्सा माना जाता है ।
बहुत सारी रेसिपी है हमारे मारवाड़ी संस्कृति में, मै धीरे-धीरे आप सब के साथ शेयर करूंगी । तब तक आप इस मारवाड़ी थाली का आनंद लीजिये ।
Comments
Post a Comment