हम इस दुनिया में आते हैं।तो बहुत सारे रिश्ते जन्म के साथ जुड़ जाते हैं। और जैसे-जैसे जिंदगी गुजरती है न जाने कितने और नये रिश्तों के बंधन में हम बंधते चले जाते हैं ।
खास कर एक लडकी के जीवन में बहुत से रिश्तें होते हैं जो उसे जन्म से नहीं मिलते। उसके जीवन के अगले पड़ाव में जुडते हैं उससे। जब एक सफ़र खत्म कर वो दूसरे सफर की शुरुआत करती है ।
उन्ही जज़्बातों को शब्दों में पिरोने की कोशिश की है इस कविता में ।
वो एक रिश्ता जो जन्म का नहीं
तुमने दिया मुझे
तमाम रिश्तों से जुदा
ये मेरा था
मैं जीने लगी
साथ गुजारे लमहों को
एक वादा किया खुद से
हर हाल में साथ निभाने का
उस साथ ने सुकून दिया
फिर जीने का जुनून दिया
उन साथ गुजारे लमहों में
मैं खुद में खुद को पाने लगी
मै भी अब कभी-कभी
बेवक्त,बेवजह मुस्कुराने लगी
जिंदगी की उलझनों को भूल
अपने मन को बहलाने लगी
मैंने बांध लिया था तुमसे
एक ऐसा रिश्ता
जो था सीमाओं से परे
खुद को खो कर अब जाना
क्या एक लकीर जरूरी थी
हाँ शायद एक लकीर जरूरी थी!!!
खास कर एक लडकी के जीवन में बहुत से रिश्तें होते हैं जो उसे जन्म से नहीं मिलते। उसके जीवन के अगले पड़ाव में जुडते हैं उससे। जब एक सफ़र खत्म कर वो दूसरे सफर की शुरुआत करती है ।
उन्ही जज़्बातों को शब्दों में पिरोने की कोशिश की है इस कविता में ।
वो एक रिश्ता जो जन्म का नहीं
तुमने दिया मुझे
तमाम रिश्तों से जुदा
ये मेरा था
मैं जीने लगी
साथ गुजारे लमहों को
एक वादा किया खुद से
हर हाल में साथ निभाने का
उस साथ ने सुकून दिया
फिर जीने का जुनून दिया
उन साथ गुजारे लमहों में
मैं खुद में खुद को पाने लगी
मै भी अब कभी-कभी
बेवक्त,बेवजह मुस्कुराने लगी
जिंदगी की उलझनों को भूल
अपने मन को बहलाने लगी
मैंने बांध लिया था तुमसे
एक ऐसा रिश्ता
जो था सीमाओं से परे
खुद को खो कर अब जाना
क्या एक लकीर जरूरी थी
हाँ शायद एक लकीर जरूरी थी!!!
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