जिंदगी बहुत खुबसूरत है, हाँ ये अलग बात है कि, सबका उसको देखने का नजरिया अलग अलग है, सबकी जरूरतें अलग है, सबकी ख्वाहिशें अलग, कोई थोड़े में ही जिंदगी की हर खुशी पा लेता है,
कोई तमाम सुख सुविधाओं के बाद भी जिंदगी से शिकायत रखता है, किसी को सुख मिला है, तो साथ में बेचैनियाँ भी, कहीं दुख के बादल छाये तो साथ में सुकून भरी फुहार भी मिली ।
सबको सब कुछ नहीं मिलता, पर सब के पास थोड़ा-थोड़ा सब कुछ होता है, तो क्या ये नहीं हो सकता कि किसी अपने के दुःख को देख कर उससे किनारा करने की बजाय हम अपना जरा सुख बांट ले, या किसी अपने की खुशी को देख कर कुढने के बजाय हम उसके सुख में अपनी भी खुशी देखें ।
जरा मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं, तो क्यो ना बांट ले, तो क्यो ना खुश रहें और खुशियाँ बाँटे, एक सच है खाली हाथ आए थे, और खाली हाथ हीं जाना है, संग कुछ भी नहीं जाना है । फिर भी हम सिर्फ अपने बारे में सोचते है।
रिश्तों में ये दूरियां बहुत तकलीफ देती है, हर रिश्ता चाहे वो दोस्ती का हो, चाहे जीवन साथी का, या फिर हमारे अपनों का, सब में जरूरी है एक सामंजस्य की, रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसे टूटने ना दे, थोड़ा देना पड़े तो दे, देने से मतलब, कोई रूपये, पैसा या दौलत नहीं है, देने से मेरा मतलब बस निस्वार्थ रूप से रिश्तों को प्यार और सम्मान देने से है ।
आज की मेरी कविता अपनों से बढती दूरियों पर है, सबको तो जीवन एक सा नहीं मिलता, कहीं सुख है कहीं दुख, तो क्यो ना बांट ले थोड़ा-थोड़ा, और मिल कर जी ले ये अमूल्य जीवन, जो बार बार नहीं मिलता ।
आ चल बांट ले, जो है तेरे पास,
जो है मेरे पास, थोड़ा-थोड़ा,
तू भी जी ले, मै भी जी लूँ,
जिंदगी का मजा ले,
तू अपनी धूप मुझे दे दे,
मुझसे मेरे हिस्से की छाँव ले ले,
तू अपने दर्द मुझे दे दे,
मै अपनी मुसकुराहट दे दूँ तुझे,
तू अपनी निराशा मुझे दे दे,
मै आशा के दीप दे दूँ तुझे,
मेरे हिस्से में गर जो खुशियाँ ज्यादा हो,
थोड़े तेरे गम दे दे मुझे,
तेरी आंखो के सपने, गर पूरे होते हो,
मै अपनी नींद दे दूँ तुझे,
थोड़ा मैं भी जी लूँ
थोड़ा तू भी जी ले,
मेरी महफ़िलों की रौनक़ें तू ले ले,
बदले में अपना सूनापन दे दे,
मेरी गुलसितां के फूल दे दूँ तुझे,
तू बेशक मुझे खिजां दे दे,
मुझे जमीन का एक टुकड़ा दे कर,
तू मेरा पूरा आसमान ले ले,
तेरी आंखो में कभी नमी ना हो,
तू मेरे चेहरे की सारी हंसी ले ले,
मैं अपना सारा प्यार लुटा दूं तुझ पर,
तू चाहे मुझे फकत ,नफरतें दे दे,
मैं अपनी दोस्ती वार दूं तुझ पर,
तू थोड़ी दुश्मनी ही दे दे,
चल थोड़ा थोड़ा बांट ले,
तू भी जी ले, मैं भी जी लूँ,
तू अपनापन ले ले मेरा,
मुझे बेगानापन दे दे,
तू रोशनी ले ले मेरी
मुझे अंधेरे ही सही,
कुछ देते, कुछ लेते,हम,
रिश्तों में बने तो रहेंगे,
पास -पास ना सही,
थोड़ा करीब तो रहेंगे,
बातें ना भी करे,
साथ महसूस तो होगा,
जुबान से ना सही,
पर दिल तो कुछ कहेगा,
खुशियाँ और गम, सब हम,
साथ मिल कर बांट लेंगे,
फिर सब संग, संग होंगे
ना कोई अकेला रहेगा
गम पास भी आया तो,
वो भी मुसकुरा देगा,
दिल मायूस ना होंगे फिर
जिंदगी का हर लम्हा हंसेगा
आ चल बांट ले, जो है तेरे पास,
जो है मेरे पास, थोड़ा-थोड़ा,
तू भी जी ले मैं भी जी लूँ ।
कोई कमी ना रहेगी फिर,
सब भरा पूरा होगा,
एक दूसरे से फिर ना,
किसी को शिकवा-गिला होगा,
कड़वाहट ना पनपेगी रिश्तों मे,
हर दिल खिला-खिला होगा,
क्या ये, खवाब ही रहेगा,
बन के आंखो में मेरी,
या कभी ये पूरा होगा,
मिल बाँट के जो जी लेगें सभी,
फिर ना कोई, रिश्ता अधूरा होगा,
हर शख्स, फिर अपनी जिंदगी में,
अपने आप में पूरा होगा ........
आ चल बांट ले, जो है तेरे पास,
जो है मेरे पास, थोड़ा-थोड़ा,
तू भी जी ले, मैं भी जी लूँ .... 🤗🤗
कोई तमाम सुख सुविधाओं के बाद भी जिंदगी से शिकायत रखता है, किसी को सुख मिला है, तो साथ में बेचैनियाँ भी, कहीं दुख के बादल छाये तो साथ में सुकून भरी फुहार भी मिली ।
सबको सब कुछ नहीं मिलता, पर सब के पास थोड़ा-थोड़ा सब कुछ होता है, तो क्या ये नहीं हो सकता कि किसी अपने के दुःख को देख कर उससे किनारा करने की बजाय हम अपना जरा सुख बांट ले, या किसी अपने की खुशी को देख कर कुढने के बजाय हम उसके सुख में अपनी भी खुशी देखें ।
जरा मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं, तो क्यो ना बांट ले, तो क्यो ना खुश रहें और खुशियाँ बाँटे, एक सच है खाली हाथ आए थे, और खाली हाथ हीं जाना है, संग कुछ भी नहीं जाना है । फिर भी हम सिर्फ अपने बारे में सोचते है।
रिश्तों में ये दूरियां बहुत तकलीफ देती है, हर रिश्ता चाहे वो दोस्ती का हो, चाहे जीवन साथी का, या फिर हमारे अपनों का, सब में जरूरी है एक सामंजस्य की, रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसे टूटने ना दे, थोड़ा देना पड़े तो दे, देने से मतलब, कोई रूपये, पैसा या दौलत नहीं है, देने से मेरा मतलब बस निस्वार्थ रूप से रिश्तों को प्यार और सम्मान देने से है ।
आज की मेरी कविता अपनों से बढती दूरियों पर है, सबको तो जीवन एक सा नहीं मिलता, कहीं सुख है कहीं दुख, तो क्यो ना बांट ले थोड़ा-थोड़ा, और मिल कर जी ले ये अमूल्य जीवन, जो बार बार नहीं मिलता ।
आ चल बांट ले, जो है तेरे पास,
जो है मेरे पास, थोड़ा-थोड़ा,
तू भी जी ले, मै भी जी लूँ,
जिंदगी का मजा ले,
तू अपनी धूप मुझे दे दे,
मुझसे मेरे हिस्से की छाँव ले ले,
तू अपने दर्द मुझे दे दे,
मै अपनी मुसकुराहट दे दूँ तुझे,
तू अपनी निराशा मुझे दे दे,
मै आशा के दीप दे दूँ तुझे,
मेरे हिस्से में गर जो खुशियाँ ज्यादा हो,
थोड़े तेरे गम दे दे मुझे,
तेरी आंखो के सपने, गर पूरे होते हो,
मै अपनी नींद दे दूँ तुझे,
थोड़ा मैं भी जी लूँ
थोड़ा तू भी जी ले,
मेरी महफ़िलों की रौनक़ें तू ले ले,
बदले में अपना सूनापन दे दे,
मेरी गुलसितां के फूल दे दूँ तुझे,
तू बेशक मुझे खिजां दे दे,
मुझे जमीन का एक टुकड़ा दे कर,
तू मेरा पूरा आसमान ले ले,
तेरी आंखो में कभी नमी ना हो,
तू मेरे चेहरे की सारी हंसी ले ले,
मैं अपना सारा प्यार लुटा दूं तुझ पर,
तू चाहे मुझे फकत ,नफरतें दे दे,
मैं अपनी दोस्ती वार दूं तुझ पर,
तू थोड़ी दुश्मनी ही दे दे,
चल थोड़ा थोड़ा बांट ले,
तू भी जी ले, मैं भी जी लूँ,
तू अपनापन ले ले मेरा,
मुझे बेगानापन दे दे,
तू रोशनी ले ले मेरी
मुझे अंधेरे ही सही,
कुछ देते, कुछ लेते,हम,
रिश्तों में बने तो रहेंगे,
पास -पास ना सही,
थोड़ा करीब तो रहेंगे,
बातें ना भी करे,
साथ महसूस तो होगा,
जुबान से ना सही,
पर दिल तो कुछ कहेगा,
खुशियाँ और गम, सब हम,
साथ मिल कर बांट लेंगे,
फिर सब संग, संग होंगे
ना कोई अकेला रहेगा
गम पास भी आया तो,
वो भी मुसकुरा देगा,
दिल मायूस ना होंगे फिर
जिंदगी का हर लम्हा हंसेगा
आ चल बांट ले, जो है तेरे पास,
जो है मेरे पास, थोड़ा-थोड़ा,
तू भी जी ले मैं भी जी लूँ ।
कोई कमी ना रहेगी फिर,
सब भरा पूरा होगा,
एक दूसरे से फिर ना,
किसी को शिकवा-गिला होगा,
कड़वाहट ना पनपेगी रिश्तों मे,
हर दिल खिला-खिला होगा,
क्या ये, खवाब ही रहेगा,
बन के आंखो में मेरी,
या कभी ये पूरा होगा,
मिल बाँट के जो जी लेगें सभी,
फिर ना कोई, रिश्ता अधूरा होगा,
हर शख्स, फिर अपनी जिंदगी में,
अपने आप में पूरा होगा ........
आ चल बांट ले, जो है तेरे पास,
जो है मेरे पास, थोड़ा-थोड़ा,
तू भी जी ले, मैं भी जी लूँ .... 🤗🤗
Wao lovely poem
ReplyDeleteThanks a lot sushma 😍😍
DeleteGreat thoughts weaved together..loved your thoughts...Pyar bantte Chalo...♥️
ReplyDeleteThank you so much ❤
DeleteBahut badhiya Alka ji.
ReplyDeleteThank you so much Usha ji 😍
DeleteWah nice poem inspired by Thod.hai thode ki zaroorat hai, beautifully penned,zindagi mein har kisi k pas sab kucch nahi hota,agar thoda sa baant dein to kya jaayega,luv this n u too..
ReplyDeleteThank you so much dear unknown, naam hi ni dikha raha aapka kis naam se pukaroo, phir bi aapke pyaar ka dill se sukriya,
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