हकीकत
#kchbaatenmanki..
अपने अहसासों को शब्दों में पिरोना ही कविता है।आज के इस इंटरनेट के दौर में इंसान बहुतों के साथ हो कर भी न जाने क्यो अकेला होता जा रहा है। एक अनजानी तलाश का और प्यास का शिकार बनता जा रहा है। उनही अहसासों को कविता में कहने की कोशिश की है ।......
बचपनसे अब तक, यही सुना था,
हकीकत और कहानी में फर्क होता है।
पर अब किस्सा कुछ अलग सा हो गया है।
हकीकत और कहानी में फर्क भुल गए हैं लोग,
कहानी को हकीकत समझ, कहानियों में जीने लगे हैं लोग।
एक काल्पनिक दुनिया बना कर,
अपनी कलपनाओं को हकीकत,
समझने की गलती करने लगे हैं लोग।
इस दुनिया में सब उनके मन का होता है,
खुली आँखों के सपने होते हैं,
जिनमे वो हकीकत का रंग भरने लगता है,
खुद की अलग ही सी दुनिया बसा कर,
वो उसी दुनिया में जीने और मरने लगता है।
रिश्तों का ताना बाना बुनता है,
खुद ही कहता है,खुद ही सुनता है,
मनमानियां करता है, बेईमानीयां करता है,
खुद को धोखा देता है, अपनों को छलता है,
एक अनदेखी आग में, हर पल जलता है।
हलांकि ये बात नहीं की, हक़ीक़त से अनजान है लोग,
फिर भी एक अजीब सी मृगतृषणा के शिकार हैं लोग,
पता है ना मंजिल मिलेगी, न प्यास बुझेगी,
फिर भी दौड़ रहा है, अनजानी मंजिल की तलाश में ।
कल्पनाओं को हकीकत का जामा पहनाने की कोशिश में,
खुद को मत खोना। सपनो की दुनिया नींद के लिए रहने दो,
हकीकत में दिल का सुकून मत खोना,
हकीकत और कहानी में सच में फर्क होता है।
इस सच को मान लेगें तो जी सकोगे,
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