#kchbaatenmanki .. my new poem .. on relationship ..
साथ बस कहने भर के है,
संग हमेशा कोई रहा कहाँ है,
आते हैं इस दुनिया में अकेले ही,
और जाना भी अकेले ही पड़ता है,
साथ में किसी के कोई जाता कहाँ है।
साथ में सुख तो है, पर ये ठहरते कहाँ है,
एक बार जो ठेस लगे दिलों को,
फिर ये जुड़ते कहाँ है।
साथ ढूढते जिंदगी गुजर जाती हैं
पर जिंदगी भर ये साथ संग में,
गुजरते कहाँ है ।
साथ कोई नहीं निभा पाता हमेशा,
रिश्तों में अपना पन भी
एक सा नहीं रहता
वक़्त के साथ रिश्ते भी
बदल जाते हैं
और अपने भी
साथ में जिनके सुकून मिलता था,
उनका साथ अब फिजूल लगता है।
मौसम की तरह जज्बात बदलते है
जरूरत की तरह इंसान
महकते थे कभी जो रिश्ते,
उनमें वो अपनेपन की,
अब खुशबु कहाँ है।
हर मुस्कान के पीछे
न जाने कितने धोखे
हर एक चेहरे पर कईयों मुखौटे,
रिश्तों में मतलब, या मतलब के रिश्ते,
समझने की इतनी फुरसत कहाँ है
साथ बस कहने भर के है
संग हमेशा कोई रहा कहाँ है।
साथ बस कहने भर के है,
संग हमेशा कोई रहा कहाँ है,
आते हैं इस दुनिया में अकेले ही,
और जाना भी अकेले ही पड़ता है,
साथ में किसी के कोई जाता कहाँ है।
साथ में सुख तो है, पर ये ठहरते कहाँ है,
एक बार जो ठेस लगे दिलों को,
फिर ये जुड़ते कहाँ है।
साथ ढूढते जिंदगी गुजर जाती हैं
पर जिंदगी भर ये साथ संग में,
गुजरते कहाँ है ।
साथ कोई नहीं निभा पाता हमेशा,
रिश्तों में अपना पन भी
एक सा नहीं रहता
वक़्त के साथ रिश्ते भी
बदल जाते हैं
और अपने भी
साथ में जिनके सुकून मिलता था,
उनका साथ अब फिजूल लगता है।
मौसम की तरह जज्बात बदलते है
जरूरत की तरह इंसान
महकते थे कभी जो रिश्ते,
उनमें वो अपनेपन की,
अब खुशबु कहाँ है।
हर मुस्कान के पीछे
न जाने कितने धोखे
हर एक चेहरे पर कईयों मुखौटे,
रिश्तों में मतलब, या मतलब के रिश्ते,
समझने की इतनी फुरसत कहाँ है
साथ बस कहने भर के है
संग हमेशा कोई रहा कहाँ है।
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