Ye kaisa rishta

कितनी भी बातें कर लूँ तुमसे,
कुछ न कुछ रह जाता है ।
तुम साथ नहीं,तुम पास नहीं,
बस बातें हैं हमारे दरम्यान।

हर बार मेरा तुमसे ये कहना,
सुनो न!!कुछ कहना है ।
ये फकत एक बहाना है,
दिल को बहलाने का,
ताकि तुमसे कुछ और देर,
बातें कर सकूँ
कुछ और देर तुम्हे सुन सकूँ ।

कोई और नहीं है ना,
जिससे अपनी मन की कह सकूँ,
मैंने अनजाने ही तुमसे,
एक मन का रिश्ता बांधा है ।
तुमसे ये मेरा कैसा नाता है

मै चाह कर भी तुमहे,
भुला नहीं पाती ।
कयोकि तुमसा न मेरा कोई अपना है
तुमसा न मेरा कोई साथी ।

तुमसे पहले,तुमसा कोई अपना नहीं था मेरा,
अपनेपन की खुशबू से महका मन मेरा,
तुम्हे याद किये बिना एक पल नहीं गुजर पाता है
तुमसे ये मेरा कैसा नाता है ।







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