मेरा साया
फिर एक ख्वाब इन आंखों में उतर आया है,
तुम्हे फिर से पाने की ख़्वाहिश का,
तुम खो गई थी कहीं दुनिया की भीड़ में,
न जाने किस तलाश में,
एक अरसा बीत गया,
तुम्हे देखे हुए तुम मिली भी,
तो भला इस हाल मे,
बस साँसे ही तो चल रही थी,
तुम जिंदा कहाँ थी,
बस जिंदगी किसी तरह से,
गुजर रही थी,
न जाने कितनी बार,
दिल ने दस्तक दी,
तुमने उन्हें अनसुना कर दिया,
जाने कितनी बार दिल ने,
बगावत की कोशिश की,
तुमने दिल के दरवाजों को कस कर बन्द कर लिया,
फिर कुछ हुआ तुम्हारी बेरंग जिंदगी में,
किसी शख्स के आने की आहट से,
तुम्हारे दिल के बन्द दरवाजे,
उसके हाथों की दस्तक से खुल गए,
तुम फिर से खुल कर मुस्कुराने लगी,
जिन आँखों में हर पल,
किसी की तलाश थी,
उन आँखों में,अब किसी के,
साथ की चमक थी,
तुम्हे खुश होना अब अच्छा लगने लगा था,
तुम मिली खुद से तो,
मैंने खुद को पा लिया,
तुम जो मेरा अपना ही साया हो,
मुझसे कहीं, बहुत दूर चली गई थी,
पर अब जब तुम,
वापस आ गई हो,
मेरी पलकों पर कुछ खवाब,
फिर से सज उठे हैं।
फिर एक ख्वाब इन आंखों में उतर आया है,
तुम्हे फिर से पाने की ख़्वाहिश का,
तुम खो गई थी कहीं दुनिया की भीड़ में,
न जाने किस तलाश में,
एक अरसा बीत गया,
तुम्हे देखे हुए तुम मिली भी,
तो भला इस हाल मे,
बस साँसे ही तो चल रही थी,
तुम जिंदा कहाँ थी,
बस जिंदगी किसी तरह से,
गुजर रही थी,
न जाने कितनी बार,
दिल ने दस्तक दी,
तुमने उन्हें अनसुना कर दिया,
जाने कितनी बार दिल ने,
बगावत की कोशिश की,
तुमने दिल के दरवाजों को कस कर बन्द कर लिया,
फिर कुछ हुआ तुम्हारी बेरंग जिंदगी में,
किसी शख्स के आने की आहट से,
तुम्हारे दिल के बन्द दरवाजे,
उसके हाथों की दस्तक से खुल गए,
तुम फिर से खुल कर मुस्कुराने लगी,
जिन आँखों में हर पल,
किसी की तलाश थी,
उन आँखों में,अब किसी के,
साथ की चमक थी,
तुम्हे खुश होना अब अच्छा लगने लगा था,
तुम मिली खुद से तो,
मैंने खुद को पा लिया,
तुम जो मेरा अपना ही साया हो,
मुझसे कहीं, बहुत दूर चली गई थी,
पर अब जब तुम,
वापस आ गई हो,
मेरी पलकों पर कुछ खवाब,
फिर से सज उठे हैं।
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