जिंदगी की मुश्किलों मे हम ऐसे उलझ जाते हैं कि अपनी मुश्किलों का जिम्मेदार हम अपनों को ही मानने लगते हैं
रिश्ते निभाना सीखते सीखते उम्र गुजर जाती है, पर बहुत मुश्किल है इन रिश्तों को निभाना और सबसे मुश्किल है हर एक को खुश रखना, आसान नहीं है आप कितनी भी कोशिश कर लो कोई न कोई किसी बात पर रूठा रहेगा ।
ये शिकवे ये शिकायतें भी इन रिश्तों नातों का हिस्सा है, पर कभी-कभी हमारे अपने अपनी ही उलझनों में उलझ कर जीना भूल जाते हैं और ऐसे में मन ये कहता है ...
कया हुआ, कयो तुम खफा हो
खुद से हो परेशाँ,
या अपनो से गमजदा हो,
किसी से कुछ शिकायत है
या खुद से ही गिला है
मुश्किलें तो सबकी जिंदगी
का हिस्सा है
किसी को थोड़ी कम
किसी को जयादा
अपना अपना हिस्सा
सब को सहना पड़ता है
अपने करम,अपना नसीब
ये एक बड़ा सच है
अपने हिस्से की लड़ाई
हर एक को
लडना पड़ता है
क्यों हम दूसरों से
कोई शिकायत रखे
अपनी तकदीर का लिखा
खुद को ही
जीना पड़ता है
कोई कितना भी बड़ा
हमदर्द क्यों न हो
दर्द ले नहीं लेता कोई
दर्द खुद का
खुद को ही
सहना पड़ता है
कोई कह दे कुछ जरा
आजकल
तो बातें चुभ जाती है
फांस बन कर
दिलों मे गड़ जाती है
ये दिल की फांसे
जिंदगी भर सताती है
रिश्तों का हवन कर जाती हैं
एक दूसरे से
दूर हो जाते हैं लोग
ये मुश्किलें ऐसा
असर कर जाती हैं
सिर्फ बुरी बातें
याद रखते हैं लोग
अपनों की अच्छाइयाँ भी
न जाने क्यो
ऐसे में कहीं
खो जाती है
छोटी छोटी बातों कों
दिल में यूँ रखना क्यो
उसकी मेरी, मेरी उसकी
सोच सोच कर जलना क्यो
कह दो मन में
जो चलता है
तुम छुटकारा पा लोगे
अपने मन की
दुविधाओं से
शिकवे गिले भी
हिस्सा है रिश्तों का
पर अच्छा है
इनको कह लेना
यूँ ही आसान
कहाँ है जीना
अपनों से चाहत होती है
अपनों से राहत होती हैं
संग अपने तो जीना आसान
उनकी दुआओं में
बरकत होती है
क्यो रख कर मन में
ये बातें, जीना मुश्किल
करते रहते हैं हम सब
कह लो सुन लो
सुन लो कह लो
बातें मन में रखना छोड़ो
बातें मन में रखना छोड़ो
Yes its true that no one bears ur pain how much closer they are...
ReplyDeleteRight Priya 😊
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