जिंदगी में सब कुछ भी मिल जाए फिर भी एक कमी तो रहती है। वो कमी वो दर्द हम कह भी नहीं पाते और सह भी नहीं पाते, कभी कभी कुछ चीजें हम जितना पाने की कोशिश करते हैं, वो चीजें हम से उतनी ही दूर होती चली जाती है, उलझनों को जितना भी सुलझाने की कोशिश करें, वो धागे और उलझते जाते है, सच्चे दिल से और पूरी इमानदारी से की गई कोशिश भी बेकार साबित होती हैं, क्यों ? कयोंकि ये सब एकतरफा होता है।
आपकी कोशिशों में कमी नहीं होती, मगर जिनके लिए ये करते हो, उनका साथ नहीं मिलता आपको, थक कर हार कर और बार बार पुरजोर कोशिशों के बाद भी हाथ आती है निराशा, दर्द, और मन टूट जाता है। रिश्तों पर से विश्वास उठने लगता है,
कुछ लफ्ज़ जो हमारे इस दर्द की दास्तान कहते हैं। बहुत कोशिशों के बावजूद कभी-कभी हम नाकामयाब रहते हैं , दिलों की दूरियां पाटने की कोशिश करते करते, सब से दूर होते चले जाते हैं।
वो कोशिश जो सबको साथ लाने के लिए होती है, वो कहीं दम तोड़ जाती हैं । कयोंकि हम अकेले पड़ जाते है।
कोई हमारे इस जज्बे को नहीं समझ पाता, सब कमियां तलाशते रहते हैं , एक दूसरे की,और हम रात दिन एक कर के भी कुछ हासिल नहीं कर पाते, सब को मिलाने में,हमारे हाथ और दिल ही झुलस कर रह जाते हैं ।
और हाथ आती है सिर्फ, मायूसियां,बेरूखी और नाराजगी।
उम्मीद का दामन थाम अब सब बस वक्त पर छोड़ देना ही आखिरी रास्ता हैं। कभी तो यकीन को भी यकीन आएगा, हमारी इन बेदाग कोशिशों पर.....
ऐ जिंदगी अब, कम कर,
रफ़्तार अपनी,बहुत थक गई हूँ,
थोड़ा ठहरना चाहती हूँ, तेरी इस दौड़ में,
कितना कुछ, पीछे छूट गया,
कुछ सपने, कुछ अपने,
कुछ वादे, कुछ नेक इरादे,
कुछ रिश्ते, कुछ भूली बिसरी यादें,
मै उन सपनों को, मैं उन अपनों को,
संग ले कर ही चली थी,तेरे इस सफ़र पर,
मंजिल पर पहुंच कर,जब पीछे मुड़ कर देखा,
कोई नहीं था,जब कुछ नहीं था।
तब ये दुःख तो नहीं था।
साथ न सही,अपने, अपने तो थे,
आज मेरे सुख ने, आज अकेला कर दिया मुझे,
पर कया मेरा सुख,इतना बुरा था।
मैं तो सबको,संग ले कर ही चली थी,
पर किस्मत पर सबकी, कया मेरा जोर था,
ये खुशियाँ भी चुभती है, कभी-कभी,
क्यो सबको, एक संग ना मिली ।
ये कड़वाहट तो न होती,
रिश्तों की गर्माहट तो यूँ न खोती,
मुझे और अब आगे,
बढने की ख़्वाहिश नहीं है।
मैं यहीं ठहर कर,
उन सब का इंतज़ार करूंगी,
जल्द मंजिल मिले उन्हे भी,
हर पल यही दुआ करूंगी
ए जिंदगी .....
बस इतनी सी उम्र और देना,
उनकी कामयाबी पर,मुस्कुरा सकूँ,
जब वो अपनी मंज़िलों पर, बहुत कामयाब रहे,
उनके सारे सपने, उनकी आंखो से निकल कर,
उनके जीवन में, सुख संग बहे,
उनकी हर खवाहिश, हर मुराद पूरी हो,
उनकी जिंदगी में कोई खुशी ना अधुरी हो,
ए जिंदगी . ...
बस इतनी मोहलत और देना,
तेरी तेज रफतार में भी,
मैं उनके कदमों के,
निशानों को पा सकूँ !!!
वो संग आना चाहे ,मेरे या ना चाहे,
मैं एक दिन फिर से, उनका साथ पा सकूँ,
इस दुनिया से रुख़सत, होने से पहले,
अपनों का पहले सा प्यार, वापस पा सकूँ,
जीतना कभी मेरी खवाहिश नहीं थी,
मैं हार कर भी, अपनों की जीत का लुत्फ़ उठा सकूँ .....
आपकी कोशिशों में कमी नहीं होती, मगर जिनके लिए ये करते हो, उनका साथ नहीं मिलता आपको, थक कर हार कर और बार बार पुरजोर कोशिशों के बाद भी हाथ आती है निराशा, दर्द, और मन टूट जाता है। रिश्तों पर से विश्वास उठने लगता है,
कुछ लफ्ज़ जो हमारे इस दर्द की दास्तान कहते हैं। बहुत कोशिशों के बावजूद कभी-कभी हम नाकामयाब रहते हैं , दिलों की दूरियां पाटने की कोशिश करते करते, सब से दूर होते चले जाते हैं।
वो कोशिश जो सबको साथ लाने के लिए होती है, वो कहीं दम तोड़ जाती हैं । कयोंकि हम अकेले पड़ जाते है।
कोई हमारे इस जज्बे को नहीं समझ पाता, सब कमियां तलाशते रहते हैं , एक दूसरे की,और हम रात दिन एक कर के भी कुछ हासिल नहीं कर पाते, सब को मिलाने में,हमारे हाथ और दिल ही झुलस कर रह जाते हैं ।
और हाथ आती है सिर्फ, मायूसियां,बेरूखी और नाराजगी।
उम्मीद का दामन थाम अब सब बस वक्त पर छोड़ देना ही आखिरी रास्ता हैं। कभी तो यकीन को भी यकीन आएगा, हमारी इन बेदाग कोशिशों पर.....
ऐ जिंदगी अब, कम कर,
रफ़्तार अपनी,बहुत थक गई हूँ,
थोड़ा ठहरना चाहती हूँ, तेरी इस दौड़ में,
कितना कुछ, पीछे छूट गया,
कुछ सपने, कुछ अपने,
कुछ वादे, कुछ नेक इरादे,
कुछ रिश्ते, कुछ भूली बिसरी यादें,
मै उन सपनों को, मैं उन अपनों को,
संग ले कर ही चली थी,तेरे इस सफ़र पर,
मंजिल पर पहुंच कर,जब पीछे मुड़ कर देखा,
कोई नहीं था,जब कुछ नहीं था।
तब ये दुःख तो नहीं था।
साथ न सही,अपने, अपने तो थे,
आज मेरे सुख ने, आज अकेला कर दिया मुझे,
पर कया मेरा सुख,इतना बुरा था।
मैं तो सबको,संग ले कर ही चली थी,
पर किस्मत पर सबकी, कया मेरा जोर था,
ये खुशियाँ भी चुभती है, कभी-कभी,
क्यो सबको, एक संग ना मिली ।
ये कड़वाहट तो न होती,
रिश्तों की गर्माहट तो यूँ न खोती,
मुझे और अब आगे,
बढने की ख़्वाहिश नहीं है।
मैं यहीं ठहर कर,
उन सब का इंतज़ार करूंगी,
जल्द मंजिल मिले उन्हे भी,
हर पल यही दुआ करूंगी
ए जिंदगी .....
बस इतनी सी उम्र और देना,
उनकी कामयाबी पर,मुस्कुरा सकूँ,
जब वो अपनी मंज़िलों पर, बहुत कामयाब रहे,
उनके सारे सपने, उनकी आंखो से निकल कर,
उनके जीवन में, सुख संग बहे,
उनकी हर खवाहिश, हर मुराद पूरी हो,
उनकी जिंदगी में कोई खुशी ना अधुरी हो,
ए जिंदगी . ...
बस इतनी मोहलत और देना,
तेरी तेज रफतार में भी,
मैं उनके कदमों के,
निशानों को पा सकूँ !!!
वो संग आना चाहे ,मेरे या ना चाहे,
मैं एक दिन फिर से, उनका साथ पा सकूँ,
इस दुनिया से रुख़सत, होने से पहले,
अपनों का पहले सा प्यार, वापस पा सकूँ,
जीतना कभी मेरी खवाहिश नहीं थी,
मैं हार कर भी, अपनों की जीत का लुत्फ़ उठा सकूँ .....
Bahut badhiya
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteNice
ReplyDeleteThank you rohini
DeleteSuperb
ReplyDeleteThank you ❤
DeleteYe kab likhi hogi main samajh sakta hun
ReplyDeleteUs waqt ki ye feelings dil se nikal kar shabdo main dhal gyi
Sab achha hoga hum intzaar karenge
Umeed pr duniya kayam hai bhai 😊
DeleteKya khoob likha h.kaleja nikal diya
ReplyDeleteThank you so much .. 🙏❤
DeleteVery nice 👌
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