Meri kahaani meri jubaani

बहुत दिन हुए कुछ अपने बारे में नहीं कहा। मन तो हुआ पर समझ नहीं आ रहा है कया लिखना चाहिए और कया नहीं। जीवन में बहुत कुछ घटित होता है। अच्छा भी और बुरा भी। बहुत कुछ हम भूल भी जाते हैं,और बहुत कुछ हमेशा के लिए हमारे साथ हमारे दिलों में रह जाता है।

आपनें सब ने पहले पढ़ा ही होगा कि मेरा जन्म कोलकाता में हुआ और फिर कुछ सालों बाद हम वहां से चले आए। जिंदगी बदस्तूर चलती रही । मैंने अपना बी.ए पूरा कर लिया था और जैसा कि उस समय चलन था, खासकर हमारे मारवाड़ी संस्कृति में कि लड़की की शादी जल्दी ही कर देना है । हलांकि पापा का मन था मैं आई.ए.एस की तैयारी करूँ पर कुछ परिस्थितयों की वज़ह से या कहे कि किस्मत में नहीं था ।
मैं आगे नहीं पढ़ी,खैर शादी के लिए लडका देखने निकले पापा, और पहली ही जगह बात पक्की हो गई ।

ये भी शायद मुझे बिना मांगे ही मिल गया, कयोंकि मैंने जो देखा सुना था अब तक लडकियों को बार बार दिखाया जाता है, और न पसंद आने पर उस के दिल पर कया बीतती होगी सोच सोच कर में डर जाती थी कि अगर मेरे साथ भी ऐसा कुछ हुआ तो, मै तो बार बार ये सब नहीं कर पाऊंगी, पर ईश्वर ने मुझे इन मुश्किलों से बचा लिया, उलटे जब पापा ने मम्मी से कहा कि एक रिश्ता है, और इसे दिखाना है, तो मैंने मन में ये पका कर रखा था कि, देखने-दिखाने दो, मै मना कर दूंगी, कयोंकि मैं उस वक्त शादी के लिए तैयार नहीं थी, और सारा टाईम में खुद को हिम्मत दिलाती रही,और ये सोचती रही कि कुछ भी हो जाए मैं हाँ नहीं करूंगी, मुझे इंकार ही करना है

खैर देखने-दिखाने की रस्मे हुई, मै पहली बार में ही पसंद आ गई उन लोगों को, और बात पक्की हो गयी, मै अब भी इस सोच में थी, कि कैसे मना करूँ पापा को, कैसे कहूँ कि मुझे अभी शादी नहीं करनी,

उधर सगाई का दिन भी तय हो गया, दो दिन बाद सगाई होनी थी,और मेरे मन में कितनी बातें चल रही थी, मना करने के चक्कर में मैंने लड़के को ठीक से देखा तक नहीं था, मन में बस यही था कैसे मना करूँ ।

सगाई के दिन के एक दिन पहले, मेरे होने वाले पति मिलने आए मुझसे, सगाई के पहले वो थोड़ी देर बात करना चाहते थे,
उस वक्त आज की तरह लडका -लडकी को अकेले में नहीं मिलने देते थे,तो घर की छत पर मैं, मेरे होने वाले पति, मेरे रिश्ते में एक भईया और भाभी चारों संग में बैठे, भइया मेरे होने वाले पति को पहले से जानते थे, दोस्त जैसे थे दोनों और उनके परिवार ने ही ये रिश्ता बताया था।
हम चारों संग में बैठे रहे काफ़ी देर तक इधर उधर की बातें चलती रही, वो तीनों ही बस बात कर रहे थे, मै बस सुन रही थी, और बीच बीच में हाँ, हूँ कर लेती थी,
फिर थोड़ी देर बाद भैया-भाभी हम दोनों को अकेले में बात करने के लिए कह कर छत पर ही हमसे थोड़ी दूर में जा कर टहलने लगे, मैं एकदम अवाक सी कया बात करूँ,
कया कह दूँ कि मुझे अभी शादी नहीं करनी, कया करूँ, बस सोचती रही, इधर मेरे होने वाले पति कुछ -कुछ कह रहे थे, कुछ पूछा भी, पर मैंने जवाब ही नहीं दिया,देती तो तब जब कि सुनती कि कया कह रहें हैं, मै तो जैसे वहाँ थी ही नहीं,

थोड़ी देर तक वो बोलते रहे, जब मैंने कुछ नहीं कहा,तो फिर वो बोले अजीब हो,मैं इतनी देर से बोले जा रहा हूँ, कुछ बोलती क्यो नही, मुंह मे जबान नहीं है कया, और ये लगभग डांट कर कहा,मै हैरान हो कौन, किस हक से डांटा मुझे, अभी तो सगाई हुई भी नहीं और अभी से ये हक क्यो ....
पर मैंने उनसे सामने से कहा बोल तो रही हूँ, कहिये कया कहना है, बस मुलाकात का वक़्त खत्म हो गया, भैया-भाभी वापस आ गए थे और हम सब छत से नीचे, आगे फिर कया हुआ, कया किया मैंने, कया मना कर पाई,या कि उसी लड़के से शादी कर ली ये सब बातें किसी और दिन लिखूंगी .....
तब तक आप सोचिये क्या हुआ होगा . . .. .. जल्दी मिलते हैं 😊😊😊😊😊







Comments

  1. Critical situation Alka ji .. i m really waiting what happened next..

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  2. Wa Alkaji idher bhi to be continued.....ab hum kaise guess krna ? UnhoneAap ko to paheli mulakat me apnaliya tha😰

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  3. Mai bahut excited hu aage janne k liye... Jaldi se zindagi k in khubsurat razo se parda uthaiye. Intezaar h bahut.

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