अपने
बड़ी किस्मत वाले होते हैं, वो लोग जिन्हें दोस्ती के बदले दोस्ती प्यार के बदले प्यार और भरोसे के बदले भरोसा मिला करता है । ज्यादातर हर रिश्ते में हम समझौते करते हैं, ताकि जिंदगी आसान रहे पर अगर सिर्फ एक तरफ से ही ये रिश्तों को निभाने की कोशिश करे कोई तो कब तक ? कभी आप सारी कोशिशें अकेले ही करते रहें रिश्तों को संभालने, सहेजने और बनाए रखने की, और कोई साथ ना दे
मुश्किल है ना फिर निभाना ? पर इन मुश्किलों से पार कर जाना ही जिंदगी है। कोशिश और उम्मीद का दामन थामे चलते रहेंगे तो ये पल भी गुजर जाऐंगे
ऐ जिंदगी बड़ा मुश्किल,
सा हो रहा है आज़कल,
इन बेजान रिश्तों मे जान लाना,
एक को मनाया दूसरा रूठ गया,
दूसरे को मनाने की कोशिश में,
पहला फिर रूठ गया,
मुझे लगा था प्यार और अपनापन,
सारे दर्दों की दवा है,
अपनों को साथ लेकर,
चलने से ही खुशियाँ है,
कहने को तो अपनों की,
भीड़ बहुत है,
बस कहने ही भर को है,
बहुत नजदीकियों में भी,
बहुत दूरियां है,
ये कैसी अजीब सी दुनिया है,
लोग क्यो खुश नहीं रहते,
एक दूसरे से आजकल,
अपनापन कहीं खो गया है,
खुद की खुशियाँ खुद के सपने,
बस यही मायने रह गये जिंदगी के,
रिश्तों मे अब वो गर्माहट नहीं किसी के,
लोग सामने कुछ और, पीछे कुछ और हो गये हैं
अपने अब गैरों से जयादा गैर हो गये हैं,
गैर फिर भी, एक बार दर्द आपका बांट लेगें,
अपने आपके दर्द में भी मजे लेंगे,
तकलीफ बांटने को नहीं कोई आएगा,
अपनी बातों से उसे और बढा देंगे,
क्यो ये ठंडापन अब रिश्तों में है,
कुछ समझ नहीं आता,
कोशिश फिर भी है इन्हे जिंदा रखने की,
शायद इन बेजान से रिश्तों में,
फिर से जान आ जाए, और हमारे मन के आँगन,
अपनेपन की खुशबुओं से महक जाए,
अपने फिर से एक बार कहने को अपने ना हो,
दिल से अपने कहलाये
दिल से अपने कहलाये
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