देना और सिर्फ देते ही रहना कोई ये पेड़ों से सीखे,हम इंसान जो करते हैं सब में अपना स्वार्थ देखते हैं, और ये पेड़ बस हमे देना जानते हैं, बहुत कुछ सीखाते है ये हमे ... बस हम सीखना चाहे तो ....
काश के हम समझ पाते
एक पेड़ की व्यथा
तब हमें जिंदगी के
असल मायने बखूबी समझ आते
एक छोटा सा बीज बस
एक विशाल पेड़ बना देता है
उसे कोई देंखे ना देखे
वो मिट्टी में मिल कर
खुद अपनी जगह बना लेता है
बस हवा,पानी वो भी कुदरती
उसे इससे ज्यादा
कुछ और नहीं चाहिए होता है
फिर भी वो फलता फूलता रहता है
अपनी बांहे पसारे
राहगीरों को छांव देता
उसकी थकान को आसरा देता
उसकी भूख को मीठे फल देता
उसकी नींद को अपनी पत्तियों का बिस्तर देता
जब कभी कोई उसके मजबूत तनों पर
अपनी जरूरत के लिए
कुल्हाडी चला उसे काट देता है
तब भी पेड़ झुकता नहीं मिटता नहीं
फिर से अपनी नई शाखाओं के लिए
फिर से नई कोपलें निकाल लेता है
फिर जी उठता है और मजबूती से
नई उमंग से नई तरंग में झूम उठता है
पेड़ सा दयालु कौन होगा
हम उसे काट देते हैं
उसे चोट पहुंचाते हैं
फिर भी वो बस देता है
और इंसान को
जब चोट दे कोई तो
वो आपसे आपका
सब कुछ छीन लेना चाहता हैं
पेड़ की तरह नहीं
जो हर वार चुपचाप सह ले
वो तो हर वार का बदला चाहता है
खुन का बदला ख़ून
जा का बदला जान
उसे देना तो आता है
पर देने का बदला चाहिए
करता भी है पर
करने का भी बदला चाहिए
निस्वार्थ नहीं इंसान
पेड़ की तरह
काश के हम सीख पाते
पेड़ की तरह जीना
उससे सीख पाते
औरों के लिए जीना
पेड़ जीवन के लिए
जितने जरूरी है
उतना उनका जीवन समझना
हमारे लिए भी
जिस दिन हम भी
पेड़ सा जीना सीख जाएँगें
थोडे से बेहतर इंसान बन जाएंगे
Bahut hi khubsurti se zindagi jeene ka naya sabak diya h. Har line bahut badiya h. Keep writing Di. 😘😘😘
ReplyDeleteAti sunder rachna!
ReplyDeleteThanks Priyanka
DeleteThank you so much Priyanka .. 😊😊
DeleteBahut badhiya Alka ji I
ReplyDeleteThank you dear
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