Story .. Bhumi pujan .. A short story

सबकी एक दिली तमन्ना होती है, अपने घर की ,अपनी छत की, जहाँ वो सुकून से पैर पसार अपनी जिंदगी गुजार सके, मन चाहा सजा सके, मन चाहा संवार सके, कुछ ऐसा ही एक सपना प्रतिभा की आंखो मे भी पलने लगा था। जब से उसके पति ने उसे बताया कि पास ही में जमीन ली है, वहां घर बनवाएगे।



अपने घर का सपना पूरा होगा सोच सोच वो पुलक उठती थी सपने बुनने लगी थी,घर को सजाने संवारने के,जब रात को फुरसत मे वो अपने पति से बातें करती घर बनाने के बारे में तो उसकी आंखो में एक अलग सी चमक आ जाती थी, कैसा होगा उसका अपना घर ? ये सोचा करती । पति से कहती "आप देखना मैं कितनी खुबसूरती से सजांउगी अपना घर ।

धीरे धीरे वक्त गुजरता गया और भूमि पूजन का दिन तय हुआ प्रतिभा महीनों पहले से सोचने लगी, भूमि पूजन पर कया पहनेगी, भूमि पूजन वो पहली बार देखने वाली थी ,वो भी उसके अपने घर का ,उसके पैर तो जैसे जमीन पर ही नहीं टिकते थे । बस अब जल्दी उसका अपना भी घर होगा ।

मायके में भी किराए के मकान में ही रही हमेशा, इसलिए उसे ये खुशी बहुत बड़ी लग रही थी  .... भूमि पूजन से कुछ दिन पहले उसकी एक ननद भी आ गई तो प्रतिभा का उत्साह मानो दूना हो गया, प्रतिभा बहुत खुश थी,हलांकि वो अपने ससुराल वालों की नजर में बहुत अचछी  बहु नहीं बन पाई थी कभी और शादी के बाद से अब तक उसे उसकी ससुराल में बहु होने जैसा अहसास नहीं हुआ था, उसे घर के जरूरी फैसलों से दूर रखा जाता, बस वो अपना काम वक़्त पर पूरा करे इससे जयादा कुछ नहीं ।
उसे भी अब तक आदत हो चुकी थी, और वो हर हालत में खुश रहने की कोशिश करती रहती थी । और अब ये एक नई खुशी जो उसे मिल रही थी, वो पिछला सब भूलने लगी थी ।

उन सब बातों को भुला कर वो भूमि पूजन की तैयारियां करने लगी .... और वो दिन भी आ ही गया आखिरकार रात भर खुशी के मारे सो नहीं पाई प्रतिभा। बस एक रात और कल के दिन का कितने दिनों से इंतज़ार था उसे, फिर भला नींद कैसे आती ।

जैसे ही आंख लगी, दरवाजे थपथपाने की आवाज़ आई, प्रतिभा ने उठ कर लाईट आन की सुबह के चार बजे थे ।

दरवाजा खोला तो सासु माँ खड़ी थी सामने, "बोली उठ जाओ  प्रतिभा  बहुत काम है ,रात के बरतन भी मांजने है  महरिन तो देर से आएगी, फिर भूमि पूजन का प्रसाद बनाना है, पंडित जी को भोजन भी करवाना है तो रसोई की तैयारियां भी करनी होगी "।

अरे हाँ सच में, प्रतिभा ने सोचा कितना सारा काम है उसने सास से कहा "जी माँ बस मैं अभी आई"। और वह जल्दी जल्दी सारे काम निपटाने में लग गई ।
जल्दी जल्दी बरतन साफ किये, घर की साफ सफाई की और रसोई में लग गई, उधर सास- ससूर ,देवर और ननद भी नहा धो कर तैयार हो गए थे ..... भूमि पूजन की जगह घर से बिलकुल दस कदम की दूरी पर थी ,तो प्रतिभा की सास ने कहा "हम चारो चलते हैं, तुम दोनों को जब सब तैयारी हो जाएगी तब बुलवा लेगें ।
प्रतिभा ने सहर्ष सिर हिला दिया, सास ने कहा तब तक तुम सबके लिए खाना तैयार कर लो ,और प्रतिभा बड़ी लगन के साथ काम में लग गई ..... बस थोड़ी देर में काम खत्म हो जाएगा और वो जाएगी भूमि पूजन के लिए ।

सब लोग चले गए, प्रतिभा रसोई में लग गई, और उसके पति उठ कर अपने नित्य-कर्मो में, एक से दो घंटो के बीच प्रतिभा  ने सब चीजें बना डाली, दो सब्जियां, खीर, हलवा, पूरी ।
उसके पति भी नहा धो कर तैयार हो गए थे, और अपनी पूजा कर रहे थे, प्रतिभा  ने सोचा, जब तक वो पूजा कर रहे हैं, तब तक मैं तैयार हो जाऊं।
 अलमारी खोली समझ में ही नहीं आ रहा था कि पहने कया, दो तीन साड़ियां निकाली और पूजा करते हुए अपने पति को दिखाई, "कौन सी पहनूँ "?

पति भी उसकी आतुरता देख मुस्कुरा दिए,नारंगी रंग की सिल्क की साड़ी की तरफ इशारा किया, "भूमि पूजन है ना ये पहन लो अचछी लगेगी", प्रतिभा  तैयार होने लगी, साड़ी पहनने ही जा रही थी कि सास आ गई और पीछे पीछे ननद भी ,प्रतिभा को तैयार होते देखा तो बोली "कया कर रही हो तुम "।

प्रतिभा  बोली बस माँ दो मिनट में तैयार हो कर चलती हूँ। इनकी भी पूजा हो गई है, तो सब साथ में चलते हैं। सासु माँ ने कहा  "भूमि पूजन  हो गया बहु अब तुमहरा वहां कोई काम नहीं है," साड़ी पहनते हुए प्रतिभा के हाथ रूक गये "ऐसे कैसे" भूमि पूजन हो भी गया, हम दोनों के बिना ही ? उसकी आंखो के किनारे भीग उठे।

सास ये कहकर  बाहर निकल गई कमरे से,इतने दिनों से जिस घड़ी के लिए जो सपने देखे थे, वो सारे सपने चूर चूर हो गए एक क्षण भी नहीं लगा, उसने चुपचाप सिल्क की साड़ी उतारी और घर के कपड़े पहन लिये,पति के सामने गई तो उसकी आंखें भरने लगी थी, पर उसने आंसुओ को छिपा लिया, और रसोई में जा कर पूरियां उतारने लगी । प्रतिभा के पति आज बिना उसके कुछ एक शब्द कहे उसका दर्द समझ गए थे ।

उधर ननद प्रतिभा के पति से बोली, "चलो भईया  तुम पंडित जी तुम्हे बुला रहे हैं", पहली बार उस दिन प्रतिभा ने अपने पति के मुंह से अपने पक्ष की कोई बात सुनी, उसे लगा था उसके पति चले जाएंगे भूमि पूजन पर उसके बिना ही  पर उसने अपने पति को कहते सुना, "आज इतने दिनों से कितने चाव किये थे, उसने आज के दिन के लिए, सुबह चार बजे से उठ कर घर के कामों में लग गई, जब उसका कोई काम नहीं है भूमि पूजन पर तो मेरा भी कोई काम नहीं है, वैसे भी पूजा हो चुकी है, तो जाना नहीं जाना एक ही बात है" ।

प्रतिभा को दुःख बहुत था ,फिर भी उसने अपने पति से आकर कहा आप जाइये, आपको जाना चाहिए, पर उसके पति ने कहा  "बस हो गया, रहने दो" ।

भूमिपूजन की वो आस एक फांस बन कर चुभ गई थी।
जरा जरा सी बातें घरों को एक करती है ।और अलग भी,

उस दिन प्रतिभा  ने एक फैसला लिया था । इस जमीन पर जब कभी भी घर बनेगा और उसका गॄह प्रवेश होगा वो हरगिज़ नहीं जाएगी,और परिस्थितियां देखिये, प्रतिभा आज अपने एक खुबसूरत से घर में रहती है, उसका भूमि पूजन उसने अपने सास-ससुर के हाथों करवाया और जिस भूमि पूजन पर उसके हाथ लगने से उसके ससुराल वालों को इंकार था ,वहां पर घर नहीं बना अब तक  .......

Comments

  1. Bahut badhiya Alka ji sahi he aaj bhi bahut se gharo me itne hi ahmiyat he bahu ki. Sirf ghar ke kam ke liye. Mere Dil ke ekdum najdik se गुजर rahi hai Apki story

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    1. Thank you so much Usha joshi ji ... ye sahi hai hmaare daur main bahu ka darja bahut alag tha .. bahut kch hai jo hmaare mamlo mai sajha hai ... kch padhte hai to jaise apni koi kahaani yaad aane lgti hai ... Pr ab wqt bahut badal gya hai . Aane wale wqto main bahu ko sayad in taqlifo se na gujarna pade

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  2. Hnnnnn........exactly true.......bhot badhiya likha he blog......superb alkaji😍😘 keep going

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    1. It's you na Sanju ..haha thank you so much bs try kr rahi hoon sabko pasand aayi to aage bi kosis kroongi 😍😍

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  3. Ek dam sahi aj bhi bahu ko kam awli bai se jayda koi nahi manta us ghar ki beti hi sab kuch hoti h beti to sasural m aish karin or bahu nokrani bas

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    1. Dear ..aisa ni hai aaj k wqt main logo ki soch main bahut badlaw aaya hai .. or sare log ek jaise ni hote

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