उड़ान सपनों की


एक आम घरेलु औरत बहुत से सपनें आंखो में लिए अपनी जिंदगी गुजार लेती है, सपने भी उसकी तरह उसकी आंखो में कैद रह जाते हैं, जिनसे बस उसकी पहचान होती है, किसी से कहती भी नहीं बहुत सी बाते बस मन में ही रखे रहती है, हर रोज मन को मारती है, हर रोज खुद से हारती है, क्यों ? क्या उसका जीवन, जीवन नहीं, कया उसे मन का जीने का हक नहीं ? क्यों  उसके सपने आंखों में ही रहे, क्यो ना वो भी अपने सपनों में रंग भरे ।

जिंदगी  जैसे भी गुजर तो जाती ही है, मन की या बेमन की,तो क्यो बेमन की जिंदगी गुजार कर चले जाएँ, कुछ तो जियें खुद के लिए भी, अपने सपनों के लिए, अपनी मंजिल के लिए, अपने आप के लिए  और जीवन को सही मायनों में जियें ।

"कोई अरमान, कोई सपना अब बाकी ना रहे,
तु फैला कर अपने पंखों को, नये हौसलों की उड़ान भर".







कुछ तो होगा जो कभी, तेरे मन को सालता होगा

कुछ तो तेरे भीतर भी उबाल मारता होगा,

कोई चाह छटपटाती तो होगी,

कोई राह याद आती तो होगी,

कोई सपना आंखो में कुनमुनाता होगा,

कोई गीत तेरा मन भी गुनगुनाता होगा,

कुछ जिंदगी से मांगा तो होगा,

कुछ मन में अपने ठाना तो होगा,

कभी  अपने बारे में भी सोचा होगा,

कभी कुछ तो तुमने चाहा होगा,

कोई मंजिल तजवीज की होगी,

किसी सफर पर तो जाना होगा,

तो थाम कर कदम, यूँ रूक क्यो गयी तुम ?

जो सालता है दिल को,

वो दर्द अब भुला दो,

जो उबल कर आना चाहता है बाहर ,

उसे बाहर आने दो ,

जो चाह है उसे पूरा कर लो ,

अपने मन की राह पर अब चल दो ,

अपने सपनो को नई उड़ान दो,

अपने गीतों को एक पहचान दो,

जो माँगा जिंदगी से वो हासिल करो,

जो ठाना कभी उसे मुमकिन करो,

अपने बारे में अब सोचने लगो,

अपनी चाहतों को अब राहतें दो,

अपनी मंजिल की और कदम तेज कर लो ,

अपने सफर को अब तो पूरा कर लो,

ये जिंदगी मौके खुद से नहीं देगी कभी ,

खुद की काबिलियत पर भरोसा रखना,

सब्र से सफर की, अब एक नई शुरुआत करना,

तेरी परवाज तेरे हौसलों से है।

अपने पंखों पर भरोसा रखना,

मंजिल खुद ले आएगी, तुम्हे अपने करीब

सीख लो अगर, खुद के लिए तुम  जीना !!




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